भारत के गाँव पर निबंध - Bharat Ke Gawn Par Nibandh
भारत गाँवों का देश है । यहाँ लगभग 75% प्रतिशत जनसंख्या-गाँवों में निवास करती है। भारत की सच्ची झाँकी गाँवों में देखी जा सकती है । इसकी उन्नति नगरों पर नहीं, अपितु गाँवों पर निर्भर करती है ।
अतः ग्रामोन्नति का कार्य देशोन्नती का कार्य है । पंत ने 'भारत माता ग्राम-वासिनी' नामक कविता में ठीक ही कहा है कि भारतवर्ष का वास्तविक स्वरूप गाँवों में है। ब्रिटिश शासनकाल ग्रामीण जीवन की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया गया; इसकी पूर्णरूपेण उपेक्षा की गई है । किंतु स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् हमारी सरकार ने गाँवों की प्रगति के लिए भारी प्रयत्न किया यहाँ की आर्थिक दशा को सुधारने के लिए कृषि की प्रगति की गई जिसके फलस्वरूप देश के इषि उत्पादन में काफी वृद्धि हुई।
Bharat Ke Gawn Par Nibandh
सिंचाई के नए-नए साधन जुटाए गए। पहले गाँवों में छोटे-छोटे कच्चे मकान होते थे जो अधिक वर्षा होने के कारण गिर जाते थे। आज अधि कांश घर पक्के हैं। वैसे पूर्वी भारत में अब भी कच्चे मकान हैं। सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में विशेष ध्यान दिया है। अब प्रायः सभी गाँवों में प्राथमिक पाठशालाएँ हैं। उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों की संख्या भी गाँव में बढ़ाई जा रही है । प्रौढ़-शिक्षा की ओर विशेष ध्यान दिया जा रहा है ।
पहले शिक्षा की ओर कम ध्यान दिया जाता था, आजकल कृषि की शिक्षा पर बहुत बल दिया जा रहा है ।कहीं-कहीं अभी तक हमारे गाँव पिछड़े हुए हैं। सफाई तथा स्वास्थ शिक्षा की कमी है। वहाँ शिक्षा के क्षेत्र में काफी सुधार की आवश्यकता है।
गाँव के किसान अब भी अंधविश्वासी हैं। उनका भूत-प्रेत में विश्वास है। ग्रामीण उद्योग-धंधों की ओर बहुत कम ध्यान दे रहे हैं, परnअब भी इसमें विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है। यदि ग्रामीण जीवन में सुधार होगा तो देश खुशहाल होगा। हमारे देश की सच्ची प्रगति गाँवों के विकास पर ही निर्भर है। हमारी सरकार गाँवों के विकास के लिए काफी प्रयत्नशील है। दूरदर्शन ने शहरी जनता के समक्ष गाँवों की दुर्दशापूर्ण स्थिति को नंगा कर दिया है। किसी बड़े पदाधिकारी के आगमन से एक-दो दिन पूर्व गाँवों में सफाई आदि करा दी जाती है।
जीवन का असली आनंद तो गांव में है। शहर की जिंदगी बहुत ही व्यस्त है अगर जीवन के हर पल का आनंद लेना है तो हमें गांव जाना पड़ेगा क्योंकि कोई एक ऐसा स्थान है जहां पर हमें अत्यंत सुकून मिलता है। पेड़ पौधे खेत खलियान विद्यार्थियों को देखकर मन प्रसन्नता से भर जाता है। रोज खेत जाना शाम को आना यह सब और भी मजे के कारण है। शहर में तो ठीक से आजकल पेड़ पौधे भी देखने को नहीं मिलते हैं।
वहीं अगर गांव की बात करें तो घर के आस-पास ही इतने पर मिल जाते हैं कि पूछो ही मत गांव में खाद पदार्थ की चीजें एकदम ताजा मिलती है। क्योंकि वहां कुछ भी तुरंत खेतों से लाया जाता है। जिससे वह हमारे शरीर के लिए और भी फायदेमंद साबित होती है। जीवन का असली आनंद तो अभी हमारे किसान भाई उठा रहे हैं। जो कि गांव में रहकर देश की सेवा कर रहे है ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने शहर को त्याग दिया है और अपने गांव में ही घर बनाकर वही अपने जीवन को व्यतीत कर रहे हैं।
हां, यह बात है कि कौन है संसाधन की कमी है लेकिन बिना संसाधन के भी जीवन आराम से व्यतीत किया जा सकता है। टेक्नोलॉजी बढ़ने के कारण आजकल लोग छोटे से छोटे काम मशीनों से ही करने लगे हैं। शहरों में लोगों को इसके कारण काफी सरलता होती है। वहीं गांव में टेक्नोलॉजी विकसित नहीं होने के कारण हमें बहुत कम ही साधन मिलता है। हमारा बचपन तो गांव में बीता है हम सभी मित्रों ने गांव में खूब मजे किए हैं।
जैसे कि जब भी कोई मेला आता था तो हम उसका इंतजार बेसब्री से करते थे दशहरा मेला में तो हम अपने गांव में और आस पड़ोस के गांव में भी जाते थे और खूब सारी चीजें खाते थे हम और हमारे मित्र मेला का इंतजार कई महीनों से करते थे और जब मेला शुरू होता था। तब सभी मित्र एकत्रित होकर के मेला जाते थे और ढेर सारे खिलौने और खाने पीने की चीजें खरीद कर खाते थे।
गांव में हर तरफ हरियाली देखने को मिलती है श्रद्धा हवा मिलती है से हमारा मन और भी शांत हो जाता है अगर हम शहर की बात करें तो शहर में खूब हल्ला गुल्ला गाड़ियों की आवाज होती है। जिसके कारण हम ठीक से नींद भी नहीं ले पाते हैं। अगर हम गांव बात करें तो कम गाड़ी होने के कारण गांव में सुकून रहता है और आराम से हम अपनी नींद भी ले सकते हैं फिर सुबह उठकर अपने दिनचर्या का पालन करते हैं।
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