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वैश्वीकरण (Vaishvikaran) Class 10th Question & Answer 2023

वैश्वीकरण (Vaishvikaran) Class 10th Question & Answer : आज हम वैश्वीकरण के सारे प्रश्नों के उत्तर बताने वाला हूँ. 

वैश्वीकरण (Vaishvikaran) Class 10th Question & Answer 2020


वैश्वीकरण (Vaishvikaran) Class 10th - अति लघुउत्तरीय प्रश्न एवं उत्तर


1. वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- वैश्वीकरण का अभिप्राय विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं को एक-दूसरे के साथ जुड़ने से है। इसके अंतर्गत विश्व की सभी अर्थव्यवस्थाएँ एक अर्थव्यवस्था या एक बाजार का रूप ले लेती हैं।



2. उदारीकरण को परिभाषित करें।

उत्तर- प्रायः , सरकारें विदेश व्यापार पर कई प्रकार के नियंत्रण या प्रतिबंध लगा देती हैं। उदारीकरण का अभिप्राय औद्योगिक क्रियाओं के संचालन में निजी क्षेत्र को अधिक स्वतंत्रता प्रदान करना है।



3. भारत सरकार की नवीन आर्थिक नीति क्या है?

उत्तर: भारत सरकार की नवीन आर्थिक नीति (NEP) के अंतर्गत वे सभी नीतियाँ सम्मिलित हैं जिन्हें आर्थिक सुधार के रूप में जुलाई 1991 या इसके बाद अपनाया गया।

इसमें उदारीकरण, निजीकरण एवं वैश्वीकरण प्रमुख हैं।



4. वैश्वीकरण के मुख्य अंग अथवा विशेषताएँ क्या हैं?

उत्तर - वैश्वीकरण के मुख्य अंग अथवा विशेषताएँ हैं- (i) विभिन्न देशों के बीच वस्तुओं का मुक्त प्रवाह, (ii) पूँजी का मुक्त प्रवाह, (iii) श्रम एवं मानव संसाधनों की मुक्त गतिशीलता तथा (iv) प्रौद्योगिकी का मुक्त प्रवाह।



5. वैश्वीकरण को प्रोत्साहित करनेवाले किन्हीं दो प्रमुख कारकों का उल्लेख करें।

उत्तर- वैश्वीकरण को प्रोत्साहित करनेवाले दो कारक सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण हैं-

(i) प्रौद्योगिकी, विशेषकर परिवहन प्रौद्योगिकी में होनेवाले सुधार तथा 

(ii) सूचना एवं

संचार प्रौद्योगिकी का विकास।



6. विदेशी निवेश क्या है?

उत्तर- बहुराष्ट्रीय निगम अपने देश के बाहर दूसरे देशों में जो पँजी लगाते हैं उसे विदेशी निवेश की संज्ञा दी जाती है।


वैश्वीकरण (Vaishvikaran) Class 10th - लघुउत्तरीय प्रश्न - उत्तर 


1. विदेश व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों को जोड़ने अथवा उनके एकीकरण में किस प्रकार सहायक होता है?

उत्तर- प्राचीनकाल से ही विदेश व्यापार विभिन्न देशों को परस्पर जोड़ने का माध्यम रह है। विदेश व्यापार उत्पादकों को घरेलू बाजारों, अर्थात देश के बाजारों से बाहर के बाजारों। में पहुँचने का अवसर प्रदान करता है। इसी प्रकार, दूसरे देशों में उत्पादित वस्तुओं के आयात से क्रेताओं के समक्ष घरेलू उत्पादन के साथ ही अन्य विकल्पों का विस्तार होता है। सामान्यतेः, दो देशों के बीच मुक्त व्यापार होने से वस्तुओं का एक बाजार से दूसरे बाजार में आवागमन होता है। बाजार में वस्तुओं के विकल्प बढ़ जाते हैं। दो देशों के बाजार में एक ही वस्तु का मूल्य एकसमान होने लगता है। इसके फलस्वरूप सुदूर देशों के उत्पादक भी एक-दूसरे से प्रतिस्पद्ध्धा कर सकते हैं। इस प्रकार, विदेश व्यापार विभिन्न देशों के बाजारों को जोड़ने अथवा उनके एकीकरण में सहायक सिद्ध हुआ है।



2. वैश्वीकरण को प्रभावित करनेवाले कारकों का उल्लेख करें। अथवा, प्रौद्योगिकी में होनेवाली प्रगति ने वैश्वीकरण को कैसे संभव बनाया है?

उत्तर- वैश्वीकरण को प्रभावित करनेवाले कारकों में प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में होनेवाली प्रगति महत्त्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, पिछले लगभग 50 वर्षों में परिवहन प्रौद्योगिकी में बहुत सुधार हुए हैं। इससे भारी और नाशवान वस्तुओं को भी सुदूर देशों में भेजना संभव हो गया है। लेकिन, वैश्वीकरण को प्रोत्साहित करनेवाले कारकों में परिवहन प्रौद्योगिकी से भी अधिक महत्त्वपूर्ण सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी का विकास है। आज विश्व के प्रायः सभी भागों के उत्पादक, विक्रेता एवं ग्राहक एक-दूसरे से बहुत शीघ्र संबंध स्थापित कर सकते हैं। इससे केवल वस्तुओं के ही नहीं, वरन सेवाओं के बाजार का भी बहुत विस्तार हुआ है।



3. भारत में 1991 के आर्थिक सुधारों से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- 1991 के आर्थिक सुधारों के अंतर्गत वे सभी तरीके शामिल हैं जो भारतीय अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के लिए 1991 में अपनाए गए। इन सुधारों का मुख्य बल अर्थव्यवस्था की उत्पादकता और कुशलता में वृद्धि के लिए एक प्रतिस्पद्द्धात्मक वातावरण का निर्माण करने पर है। हमारे देश में आर्थिक सुधारों का प्रारंभ विदेशी व्यापार की प्रतिकूलता तथा विभिन्न कारणों से देश में उत्पन्न विदेशी विनिमय के गंभीर संकट की पृष्ठभूमि में हुआ था। अतएव, आर्थिक सुधार की नीतियों में व्यापार एवं पूँजी प्रवाह-संबंधी सुधारों को विशेष महत्त्व दिया गया है। सरकार ने जुलाई 1991 से व्यापार के क्षेत्र में ऐसे कई सुधार किए हैं जो हमारे देश को विश्व अर्थव्यवस्था से जोड़ने में सहायक हुए हैं।



4. निजीकरण से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- निजीकरण की धारणा विगत वर्षों के अंतर्गत भारतीय अर्थव्यवस्था में किए जानेवाले आर्थिक सुधारों से संबंधित है। यह इस विचारधारा के अनुरूप है कि सरकार का कार्य व्यवसाय करना नहीं है। स्वतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात भारत में सार्वजनिक क्षेत्र का बहुत विस्तार हुआ है। लेकिन, सार्वजनिक क्षेत्र का कार्य-संपादन आशा के अनुरूप नहीं हो रहा है। इस क्षेत्र के अधिकांश उपक्रम घाटे में चल रहे हैं, अथवा बहुत कम लाभ अर्जित करते हैं। अतएव, अब भारत सरकार की विचारधारा एवं उसकी आर्थिक नीति निजीकरण

के पक्ष में है। इसके फलस्वरूप निजी क्षेत्र को अनेक प्रतिबंधों से मुक्त कर दिया गया है। अब निजी क्षेत्र कई ऐसी औद्योगिक क्रियाओं के संचालन में प्रवेश कर सकता है जो इसके पूर्व केवल सार्वजनिक क्षेत्र के लिए सुरक्षित थे निजी क्षेत्र का विस्तार करने के लिए विदेशी कंपनियों को भी देश में अपने उद्यम स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।



5. वहुराष्ट्रीय कंपनी या वहुराष्ट्रीय निगम किसे कहते हैं? वैश्वीकरण की प्रक्रिया में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की क्या भूमिका है?

उत्तर- एक बहुराष्ट्रीय कंपनी या बहुराष्ट्रीय निगम वह है जिसका एक से अधिक देशों में उत्पादन पर नियंत्रण या स्वामित्व होता है। इनकी उत्पादक क्रियाएँ किसी एक देश में सीमित न होकर अनेक राष्ट्रों में फैली रहती हैं। बहराष्ट्रीय कंपनियों ने विभिन्न देशों के उत्पादन को जोड़ने का कार्य किया है। इन कंपनियों का मुख्य उद्देश्य अधिकतम लाभ अर्जित करना होता है। अतः, ये उन्हीं स्थानों में कार्यालय एवं उत्पादन-संयंत्र स्थापित करती हैं, जहाँ इन्हें सस्ता श्रम तथा अन्य संसाधन उपलब्ध होते हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियों के निवेश का सबसे सामान्य तरीका अन्य देशों की स्थानीय कंपनियों को खरीदना और उसके बाद उत्पादन का विस्तार करना है। कई बार ये स्थानीय कंपनियों के साथ मिलकर संयुक्त रूप से उत्पादन करती हैं। इससे वैश्वीकरण की प्रक्रिया तीव्र हुई है।

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