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भारत में नारियों के बढ़ते कदम पर निबंध - Bharat Me Nariyo Ke Badhte Kadam NibanNibandh

भारत में नारियों के बढ़ते कदम पर निबंध - Bharat Me Nariyo Ke Badhte Kadam Nibandh

 

Bharat Me Nariyo Ke Badhte Kadam Nibandh

भारत में नारियों के बढ़ते कदम विश्व में स्त्रियों की संख्या पुरुषों की संख्या के आज शिक्षा का महत्त्व संसार में बढ़ गया है। पुरुष शिक्षा ही नहीं अब नारी-शिक्षा भी आवश्यक हो गयी है। नारी और पुरुष इन दो पहिओं पर मनुष्य के परिवार की जिंदगी चलती हैं। शिक्षा नारी के जीवन में क्रमश: अंतर लाती है। एक शिक्षित माँ बच्चों को शिक्षा भली प्रकार दे सकती है। एक अशिक्षित माँ को शिक्षा देने में कठिनाई होती है। नारी शिक्षित होने पर परिवार की आमदनी दुगुनी बढ़ जाती है । शहरों का खर्च बढ़ गया है ।


एक पुरुष कितना कमाएगा। यदि एक नारी भी परिवार में कमाने लगती है, तो गाड़ी आसानी से चल निकलती है। शिक्षित नारी की राय मानी जाती है। वह परिवार और राष्ट्र के विभिन्न मामलों में अपना मत दे सकती है । शिक्षित नारी दवा का नाम पढ़कर रोगी को दवा देगी। अब वह जमाना नहीं रहा कि केवल पुरुष ही काम कर सकते हैं । 

Bharat Me Nariyo Ke Badhte Kadam Nibandh

अब नारी भी वे सभी कार्य कर सकती हैं, जो पुरुष करते थे। हवाई जहाज चलाना, सैनिक बनना, शिक्षक बनना इत्यादि दुःसाध्य कार्य भी अब नारियाँ आत्मविश्वासपूर्वक कर रही हैं। शहरों में नारियाँ अब धड़ल्ले से शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। सरोजिनी नायडू, इंदिरा गाँधी, एनी बेसेन्ट, लक्ष्मीबाई, मीराबाई, महादेवी वर्मा, सोनिया गांधी, जयललिता और ममता बनर्जी का नाम कौन नहीं जानता ? ये महिलाएँ बहुत मायने में पुरुषों से भी आगे हैं । 


शिक्षा मनुष्य को सामंजस्य सिखलाती है। पढ़ी-लिखी स्त्रियाँ परिवार, समाज और देश-विदेश में अच्छे सामंजस्य का उदाहरण पेश कर रही हैं। अब स्त्रियाँ पैरों की जूती नहीं रह गयी हैं। अब वे देवी, माँ, सहचरी और प्राण बन गयी हैं। सरकारों को नारी शिक्षा मुफ्त कर देनी चाहिए। सच है -यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमन्ते तत्र देवता।


आजकल लगभग सभी क्षेत्रों में लड़कियां काम कर रही है महिलाओं ने लगभग हर क्षेत्र में सफलता को हासिल किया है अगर हम परीक्षाओं की बात करें तो उनमें अधिकतर महिलाएं यानी कि लड़कियां हैं पास करती है। ऐसा कोई भी काम नहीं रहा जो कि लड़कियां नहीं कर पाती है इन्होंने अपने मां-बाप का नाम रौशन किया है। हमने प्राचीन समय में देखा था कि लड़कों की अपेक्षा लड़कियों पर बहुत ही कम ध्यान दिया जाता था बाल उम्र में ही लड़कियों की शादी कर दी जाती थी।


जिसके कारण लड़कियां शिक्षा करण नहीं कर पाती थी और जो भी कला उनके अंदर होती थी शिक्षा के बाद सारी कलाएं खत्म हो जाती थी। लेकिन समय के साथ सब कुछ बदल चुका है। लोगों को ऐसा एहसास हो चुका है कि जो काम लड़के कर सकते हैं और लड़कियां भी कर सकती है इसलिए आजकल सभी अपने बच्चों पर बराबर ध्यान देते हैं हम ऐसा बिल्कुल नहीं कह सकते हैं कि लड़कों की अपेक्षा लड़कियां अपने कामों में कम ने पूर्ण होती है हमें लड़कियों की सफलताओं से यह अंदाजा हो जाता है कि लड़कियां क्षेत्र में सफलता पा सकती हैं। 


आज के समय मैं लड़कियां अब कम उम्र में शादी नहीं करती और अपने मां बाप से कहती है कि मैं कोई नौकरी नहीं करूंगी तब तक मैं मैं बिल्कुल शादी नहीं करूंगी और इस विचार पर उनके मां-बाप भी उनका साथ देते हैं कि अब मां बाप को भी पता है कि शिक्षा के बिना जीवन कितना कष्टदायक होता है इसलिए वे अपने बच्चों को पर आते हैं ताकि आगे चलकर उन्हें शिक्षा के कारण होने वाली कठिनाइयों का सामना बिल्कुल भी करना ना पड़े।


हमें लड़कों और लड़कियों की तुलना बिल्कुल नहीं करनी चाहिए दोनों अपने-अपने जगह पर बिल्कुल ठीक है और लड़कियों को हमें लड़कों से बिल्कुल कम नहीं समझना चाहिए। हमने प्राचीन समय में भी देखा है कि लड़कियों ने बहुत बड़े-बड़े कार्य किए।


अभी के समय लड़कियां डॉक्टर, इंजीनियर इत्यादि बनती हैं और अपने सपने को साकार करती है। यह देखा जाता है कि परिवार का बेटा कुछ नहीं कर पा रहा है लेकिन लडकियां में अपने लक्ष्य को प्राप्त किया है इससे यह आभास होता है कि लड़कियां अपने लक्ष्य के लिए काफी सीरियस होती है। हमने स्कूल में भी देखा है कि लड़कियां ही अधिकतर टॉपर होती है और अगर हम बोर्ड परीक्षा याने की 10th, 12th की बात करें तो उनमें देखा जाता है कि अधिकतर लड़कियों ने ही टॉपर किया है।

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