नारी शिक्षा पर निबंध - Nari Shiksha Par Nibandh
आज शिक्षा का महत्त्व संसार में बढ़ गया है। पुरुष शिक्षा ही नहीं अब नारी-शिक्षा भी आवश्यक हो गयी है। नारी और पुरुष इन दो पहिओं पर मनुष्य के परिवार की जिंदगी चलती हैं। शिक्षा नारी के जीवन में क्रमश: अंतर लाती है । एक शिक्षित माँ बच्चों को शिक्षा भली प्रकार दे सकती है । एक अशिक्षित माँ को शिक्षा देने में कठिनाई होती है । नारी शिक्षित होने पर परिवार की आमदनी दुगुनी बढ़ जाती है । शहरों का खर्च बढ़ गया है ।
एक पुरुष कितना कमाएगा। यदि एक नारी भी परिवार में कमाने लगती है, तो गाड़ी आसानी से चल निकलती है। शिक्षित नारी की राय मानी जाती है। वह परिवार और राष्ट्र के विभिन्न मामलों में अपना मत दे सकती है । शिक्षित नारी दवा का नाम पढ़कर रोगी को दवा देगी। अब वह जमाना नहीं रहा कि केवल पुरुष ही काम कर सकते हैं ।
अब नारी भी वे सभी कार्य कर सकती हैं, जो पुरुष करते थे। हवाई जहाज चलाना, सैनिक बनना, शिक्षक बनना इत्यादि दुःसाध्य कार्य भी अब नारियाँ आत्मविश्वासपूर्वक कर रही हैं । शहरों में नारियाँ अब धड़ल्ले से शिक्षा ग्रहण कर रही हैं । सरोजिनी नायडू, इंदिरा गाँधी, एनी बेसेन्ट, लक्ष्मीबाई, मीराबाई, महादेवी वर्मा, सोनिया गांधी, जयललिता और ममता बनर्जी का नाम कौन नहीं जानता ? ये महिलाएँ बहुत मायने में पुरुषों से भी आगे हैं ।
शिक्षा मनुष्य को सामंजस्य सिखलाती है । पढ़ी-लिखी स्त्रियाँ परिवार, समाज और देश-विदेश में अच्छे सामंजस्य का उदाहरण पेश कर रही हैं । अब स्त्रियाँ पैरों की जूती नहीं रह गयी हैं। अब वे देवी, माँ, सहचरी और प्राण बन गयी हैं। सरकारों को नारी शिक्षा मुफ्त कर देनी चाहिए । सच है -यत्र नार्यस्तु पूज्यंते, रमन्ते तत्र देवता!
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