युवा-आक्रोश पर निबंध - Yuva Aakrosh Par Nibandh
भारतवर्ष के युवकों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। सुनिश्चित नौकरी का अभाव, शिक्षा का अधूरापन, ऋणात्मक व्यक्तित्व का विकास, l इत्यादि कारणों से युवक क्रोधमय-आक्रोशमय एवं चिड़चिड़े होते जा रहे हैं। पढ़ने की प्रवृत्ति घटती जा रही है। व्यक्तित्वहीन छात्रों की लिपि भी खराब होती जा रही है। युवा आक्रोश का सबसे बड़ा कारण पोषक वातावरण का अभाव है। व्यक्तित्व का निर्माणवंशपरंपरा एवं वातावरण से होता है। वंश परंपरा में परिवर्तन नहीं किया जा सकता। वह मनुष्य के हाथ में नहीं है।
Yuva Aakrosh Par Nibandh
वातावरण को सुधारा जा सकता है। लेकिन गरीब छात्रों के घरों का वातावरण तनावपूर्ण होता है। अमीर छात्रों के घरों का वातावरण अनुशासन विहीन हो जाता है। हिन्दी माध्यम वाले विद्यालय उचित और पर्याप्त शिक्षा नहीं दे पाते। अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय शिक्षा तो स्तरीय देते हैं लेकिन छात्रों को केवल रटना पड़ता है। गृहकार्य के बोझ और मनोरंजक एवं खेलकूद केअभाव के कारण छात्र क्रोधी हो जाते हैं।
कोई भी सरकार वातावरण के सुधार एवं उन्नयन पर ध्यान नहीं l देती। सरकारों का ध्यान लूट की तरफ ज्यादा और शिक्षा की तरफ कम होता है। स्कूलों का वातावरण उत्साहवर्द्धक नहीं पाया जाता है। शिक्षित छात्र भी उत्कृष्ट व्यवहार नहीं कर पाते। माता-पिता का अपमान, गुरु का अपमान वे अक्सर करते पाए जाते हैं।बउत्कृष्ट शिक्षा छात्रों को नहीं मिल पाती है। उनमें गुणवत्ता का संचार नहीं हो पाता है। छात्रों के पास केवल मोटे कागज पर छपी डिग्री है। अत: गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने का प्रयास भारत को करनाbहोगा। कई बार तो शिक्षक भी गुणवत्तापूर्ण नहीं पाए जाते। वे केवल वेतन लेने शिक्षण संस्थानां में आते हैं। छात्रों में क्रोध, गुस्सा, चिड़चिड़ापन बढ़ता रहता है। युवा-आक्रोश का एक प्रमुख कारण उज्ज्वल भविष्य की जगह अंधकारमय भविष्य का दिखाई पड़ना है।
1.00,000 परीक्षार्थियों में 2,000 को नौकरी मिलती है। नौकरी नहीं मिलने की उम्मीद से युवक-युवती निराश जीवन व्यतीत करने लगते हैं। युवक-युवतियों में यह आत्मविश्वास ही नहीं पनपता है कि उन्हें भी जीविका मिलेगी। वे निराश हो उठते हैं। मोबाइल जैसे मनुष्य के शरीर का अंग है. किसी का काम नहीं चलता है। मोबाइल पर हम फिल्म भी देख सकते हैं। मोबाइल को इंटरनेट से जोड़कर l दुनिया ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। पूरी दुनिया हमारे हाथों में आ जाती है। मोबाइल में घड़ी भी लगा है, जिससे हम समय जान जाते हैं। आसमान की ओर देखने की जरूरत नहीं पड़ती है। मोबाइल में अलार्म भी लगा होता है जिससे हम समय पर जाग जाते हैं।
एक लघु यंत्र में एक साथ इतनी सुविधाएँ–'देखन में छोटन लगैं, घाव करै गम्भीर'। मोबाइल से अब प्रशासन भी सम्भव हो रहा है। मोबाइल से टिकट भी बुक किया जा रहा है। मोबाइल से गैस भी बुक किया जा रहा है। अब तो इ-कैस से मोबाइल हाथ में ही बैंक का कार्य निष्पादित कर रहा है। एक मोबाइल की कीमत दो हजार से एक लाख तक है।
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