शरद ऋतु पर निबंध - Sharad Ritu Par Nibandd
शरद ऋतु पर निबंध - Sharad Ritu Par Nibandh
शरद ऋतु क्वार से कार्तिक तक रहती है। अंग्रेजी महीनों के अनुसार यह ऋतु जाड़े की ऋतु कहलाती है। यह नवम्बर में प्रारम्भ हो जाती है और दिसम्बर तथा मध्य जनवरी तक रहती है। इंगलैंड में यह Winter season कहलाती है और वहाँ अगस्त में ही शुरू हो जाती है और जुलाई में समाप्त होती है शरद ऋतु में जाड़ा पड़ता है। शरीर का तापक्रम 37°C है। जाड़े में बाह्य तापक्रम 4°C से 20°C तक हो जाता है। अत: मनुष्य को जाड़ा लगता है।
जाड़े में ही भारतवर्ष में दलहन, तेलहन की फसलें होती हैं। जाड़े की ऋतु सम्पन्नों के लिए आनन्द की होती है। वे गर्म कपड़े पहनकर उष्मा का अनुभव करते हैं। वे हीटर एवं रूम वार्मर चलाकर गर्मी का अनुभव कर लेते हैं। जाड़े का मौसम गरीबों के लिए कष्टकर होता है। वे पुआल बिछाकर सोते हैं। वे रजाई ओढ़ते हैं। वे लकड़ी-गोइठा सुलगा कर आग तापते हैं। भारतवर्ष गरीब देश है। भारतवर्ष के लिए गर्मी ही अनुकूल पड़ती है। जाड़े में सभी काँपने लगते हैं। जाड़े में शरीर ठंढा होने लगता है। स्नान करने में ठंढक लगती है।
गर्मी नहीं रहने से प्रसन्नता की कमी हो जाती है। स्वास्थ्य भी गड़बड़ होने लगता है। ढंठक लगने से बूढ़े लोग स्वर्ग जाने की तैयारी करने लगते हैं। हृदय बैठ जाता है। लकवा मार देता है। जीवन के लाले पड़ जाते हैं। यह एक कठिन मौसम है। यह एक जटिल मौसम है। हाँ, जाड़े के बाद वसंत ऋतु का शुभागमन हो जाता है। सभी पुनः प्रसन्न हो जाते हैं।
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